ना जाने किधर छिप गयी मेरे प्यार की चाँदनी,
अमावस की रात में गुम हो गयी हैं मेरी ज़िंदगी,
ताज सी सुंदरता भी ना दिखे मुझे इस घड़ी,
ये तन्हाई की काली रात भरे स्याह मेरी ज़िंदगी,
उम्र गुजर गयी पर कभी ना मिला था ये ख़ुशी,
पर क्यों चंद दिन रह कर चली गयी मेरी ख़ुशी,
ज़िंदगी के अंधेरे में जो ढूँढ रहा था अपनी ख़ुशी,
अमावस की रात सा बनकर रह गयी मेरी ज़िंदगी,
चारों तरफ़ दर्द की कालिमा दिख रही,
ग़म की बूँदे सागर की लहरे बन गयी,
तन्हाई भरी ज़िंदगी जीने में लगे भारी,
अब तो देखो यहाँ मौत ने भी मुँह मोड़ डाली,
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इक दिन ढूँढ लूँगा अमावस रात में छीपी चाँदनी,
मेरे प्यार कि समझ तुम भी थोड़ा समझ लोगी कभी,
चाहने वाले मिलेंगे अनेक अपने जीवन के पथ पर तुम्हें,
पर जो तुम्हें अपने ख़ुशी समझ ले ऐसा ना मिलेगा कभी,
मेरे लिए तो बस तुम ही हो मेरे जीवन की हर ख़ुशी,
मेरे जीवन जीने का ध्येय हैं बस सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी,
चाहे तन्हाई के दर्द अनेक दो तुम होकर दिल क़रीब,
मेरा दिल तुम्हें सिर्फ़ प्यार दे ना दे कभी दर्द और रुसवाई,
देखो तुम ज़रा मेरी दीवानगी प्यार मेरा तुम्हारे लिए हैं अद्भुत,
लोग ईश्वर ईश्वर जपते हैं पर मेरे लब पे सिर्फ़ तुम हो बसी,
मैं अपने दिल में बना रखा इक सुंदर सा दिखने वाला मंदिर,
देवी इस मंदिर की बस तुम हो ये बात समझ लो तुम भी अभी.
के. के.