मेरे दिल की धड़कन

मेरे दिल की धड़कन ज़रा सम्भाल तुम खुद को,
क्यों लूटा रहा खुद को जहाँ पर प्यार ना मिले तुझको,
समझा मेरे दिल खुद को, अब तलाश ना करो तुम उसको,
दूर चली गयी हैं वो, तुम्हें छोड़ यह अकेला जीवन जीने को,

क्यों बना बैठा उसे अपनी धड़कनक्यों दे डाली अपनी ख़ुशी,
अब तो धड़कता  हैं मेरा दिलबिना जाने क्या है उसकी मंजिल,
हर घड़ी ये दिल  धड़कता है खोजता हैं यें अपनी ख़ुशी,
बेचारा वो अब भूल गया, क्या है उसकी खुद की ख़ुशी,

देखो कल कि ही बात हैं थे हम कितने क़रीब,
पर फिर सोच ने किया वार, किया मुझे तुमसे दूर,
दूरी यूँ ही बढ़ती गयी, प्यार मेरा छूटता गया,
कोई तो समझाओ उसे, प्यार नज़दीकियाँ से होती है ना कीं दूर जाने से.

केके.

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