सुंदर रंग बिरंगी ख़ुशी हो या दर्द भरी सादगी,
खोजना है मंजिल जो हो ख़ुशियों से हो भरी,
साथ तेरा मिल जाए तो खिल जाए मेरा दिल,
तेरे दूर चले जाने से मुरझा जाए ये ज़िंदगी,
ढूँढ रहा मैं रंग अपने दर्द से भरी सादगी में,
रूठा दिल नाराज़ बैठा ख़ुशी के माहौल में,
कैसे मनाऊँ इसे मैं समझाऊँ रूठने में नहीं ख़ुशी,
तन्हाई के दर्द को अपना, भरनी हैं रंग बिरंगी ख़ुशी,
ज़िंदगी के चित्रफलक पे रंगनी हैं मुझे अपनी ख़ुशी,
दिल के दरवाजा को खोल अब पानी हैं नयी ख़ुशी,
पर शायद तुम ना समझोगी मेरे दिल को कभी,
मुझे ख़ुश रहने को बोल क्यूँ छोड़ चली मुझे ग़म के सहारे,
आज आज़ाद मन लगा बुनने मन में अपनी ख़ुशी,
मिटा रहा पुरानी यादें जगह दे रहा पाने को नयी ख़ुशी,
होली के इस अवसर पर अक्सर सोच रहा ये मन,
क्यों ना भर दूँ रंग अपने सादगी भरे जीवन में,
के.के