इंतज़ार

धुँध सा छा गयीदिल के बगीचे में मेरे,
तेरे क़रीब आने के इंतज़ार में,
मेरी आँखे नम सी हो गयी,
तेरे यूँ मुझे छोड़ चले जाने से,

ना जाने क्यों दर्द सा हो रहा हैं तेरे दूर जाने से,
पहले नहीं हुआ था कभी ये अहसास दिल में मेरे,
फिर क्यों ये दर्द इतना तकलीफ़ सा  दे रहा मुझे,
तुम दिल के पास रहो मेरे यहीं उम्मीद हैं मुझे तुमसे,

इंतज़ार के दर्द का अहसास रुला दे रही हैं मुझे,
पर क्या करूँ मेरी ख़ुशी भी है जो तेरी हर ख़ुशी,
तेरी ये ख़ुशी देख हो रहा ख़ुश मेरा ये तनहा दिल,
दर्द तो ये  तन्हाई का हैं जो ना समझ पाएगी तुम,

क्यों रुला रही हो तुम  बनकर मेरी ज़िंदगी,
क्यों मुझे रोता छोड़कर तुम्हें मिलती हैं ख़ुशी,
यूँ अकेले रोने से अच्छा मैं ही छोड़ दूँ खुद की ख़ुशी,
इक तारा बन शायद तुम्हारा साथ मुझसे बना रहे,

तुम यूँ ही मुस्कुराते रहोदर्द का साया ना छू पाए तुम्हें
तेरा साया बन साथ निभाऊँगायही उम्मीद हैं दिल मेरे,
तुम्हें कुछ पता ना चलने दूँचुपके से दिल में समा कर तेरे,
लिखेंगे हमारे प्यार की कहानीख़ुशी के शब्दों को पिरो,

मेरे प्यार को तुम महसूस करो दिल से,
इसकी गहराई शायद ना दिखेगी कभी तुझे,
मैं तो ना जाने कब अकेला डूब सा गया तेरे प्यार में,
अब तो ये तेरी समझ हैक्या कभी समझेगी मेरे प्यार को?

के .के

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