साथ जब हो तेरा, लगे सुहाना ये सफ़र,
साथ मिलकर क्यों ना काटे, जीवन का ये सफ़र,
बाँट ले ख़ुशियाँ साथ, ग़म का साया ना आने दूँ तेरे पास,
चलो चले हम मिलकर, शुरू करे इक सुहाना आ सफ़र,
डर किस बात का हैं, ये ज़रा बता तुम मुझे,
मेरे दूर जाने का डर, या मुझे ना पाने का डर,
शायद डर लगता हैं तुझे, ये सोच लोग क्या कहेंगे,
क्या लोगों को दिया है तुमने, तेरी ख़ुशी सोचने का हक्क,
शायद तुम्हारे सोच को, मेरा साथ नहीं है गवारा,
या कोई हैं तेरे जीवन में, जिसका साथ लगे तुम्हें प्यारा,
मैं प्यार कर सकता हूँ ज़रूर, पर तेरी ख़ुशी है मुझे प्यारा,
तुझे जीतने से अच्छा हैं, मैं भूल जाऊँ ये सुहाना सा सफ़र,
तुमको पा लिया तो क्या, तेरे सोच को बदल सकता हूँ मैं,
तेरे सोच को हराने से अच्छा, मैं तुमसे हार जाऊँ हर बार,
साथ मुझे चाहिए सम्पूर्ण, जहां तेरा दिल और मन साथ हो,
मेरे इस सुहाना सफ़र के लिए, तेरा होना हैं मेरे लिए ज़रूरी.
के.के