कौन सच है कौन कहे यहाँ झूठ,
क्यों मतलबी हैं सारी दुनिया सोचे अपना सुख,
समझ की हैं कमी या ख़ुदगर्ज़ी हैं भरी,
ये झूठी दुनिया ही हैं जीवन का सत्य,
उलझन में यहाँ फँसे हैं यहाँ सारे,
लिए मन में दूसरों के लिए खोट,
सच्चा दिल क्यों उदास खुद से,
क्यों खोजे वो जीवन का सत्य,
जाने क्यों इंसान नफ़रत लिए दिल,
क्यों भूल बैठे वो प्यार का मूल्य,
क्यों अपनों की हैं इतनी पड़ी,
क्यों पूछ नहीं यहाँ सच्चे दिल की.
के.के.