जाने क्यों दर्द की घटा सी हैं छाई,
मुझे दर्द की यादें दे मेरी तन्हाई,
हमेशा याद करूँ उस लम्हे को,
तुम्हारे साथ जो मैंने है बिताई,
मेरी यादें बन कर साथी,
बाँट ले दिल का ग़म,
शुक्रिया तुझे मेरे दिल से,
यादें तो दी साथ निभाने को,
चाहे अनजाने में ही सही,
छोड़ गयी तुम अपनी परछाई,
वो साथ निभाती हैं मेरा,
तन्हाई में मेरे समीप रहकर,
होगी तेरी कुच मजबूरी,
जो हैं मेरे समझ से परे,
पर क्या करूँ मजबूर दिल,
लिए याद तुझे दिन रात करे,
ये नहीं कोई रिश्ता जिस्मानी,
ये मेरा प्यार हैं जो रूहानी,
ये तो हैं मेरे ईश्वर की इक्षा,
साथ रहूँ बन कर तेरा चाहे मिले तन्हाई.
के.के.
Beautiful, simply beautiful.
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Thanks
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