तारीफ़ क्या करूँ, तेरी ख़ूबसूरती हैं बेमिसाल,
सारे जहाँ की ख़ूबसूरती, समेटे हुए हो जो तुम,
डूबने का मन करता है, नयनों के गहराई में तेरे,
तेरे इक हँसी, भर देती है मन में ढेर सारी ख़ुशी,
तेरे ग़ुस्से में हैं प्यार छिपी, हैं मेरी हर ख़ुशी,
नाराज़गी तेरी अनोखी, रिझा मुझे वो देती,
मेरा चेहरा देख कर, भाफ़ लेती हो दिल का हाल,
मेरे दिल का हाल, ना छिप सकती हैं तुझसे,
कैसी नाराज़गी हैं ये तेरी,
मुझे छोड़ कर सभी दे तुझे ख़ुशी,
मैं थोड़ा पागल, ना समझ सका तुझे,
तेरे नाराज़गी में छिपी मेरी हर ख़ुशी.
के.के.