मैं सीधा मेरी चाहत सीधी,
करता हूँ इंतज़ार हर घड़ी,
मेरे प्यार को बस हाँ कर दे,
मैं हो जाऊँ तेरा हँशी ख़ुशी,
अगर तू पुकारे मुझे दिल से,
पाओगी मुझे खुद के क़रीब,
तेरी ख़ुशी के ख़ातिर हूँ मैं दूर तुझसे,
तेरे ख़ुशी के ख़ातिर मैं आ सकता क़रीब,
मुझे वक्त का इंतज़ार है,
जब अपना बना मुझे तुम,
जब याद तुम करोगी मुझे,
अपना लोगी तुम दिल से मुझे,
लोगों का छोड़ जब चाहोगी मुझे,
जब बन जाऊँ तेरी हर ख़ुशी दिल से,
स्वीकारोगी जब मुझे दिल से,
तभी होगी ये हमारी ख़ुशी.
के.के.
Nice poem
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Thanks
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