या उनकी समझ परिपक्व नहीं, या हैं मुझमें कोई कमी,
जो समझ ना सकी वो मुझे, उपहास किया मेरे प्यार का उसने,
या मैं ना समझा सका उसे, अपने दिल की गहराई,
मेरे भीतर का एहसास, जो सिर्फ़ थी उसके लिए दिल में,
कभी सोचता उसे क्या पता, क्या हाल ए दिल हैं मेरा,
मेरी तन्हाई मुझे तड़पाती, मेरी जीवन राह कठिन बनती,
दिल की उदासी जब गहराती, मुझे समझ में कुछ नहीं है आती,
क्या यही हैं प्यार का मुक़ाम, क्या यही होता हैं प्यार का ईनाम,
क्या कोई किसी से, इतना प्यार कर सकता हैं,
अपना रात दिन, उसके नाम क्या कर सकता है,
अपने दिल लिए उम्मीद, उसका साथ पाने का,
आस लिए मन, उसके क़रीब आ जाने का वो पल,
इस झूट को जनता मैं, उसकी सच्चाई मैं पहचानता,
फिर भी इस झूठ में जीना मुझे, मेरी सच्चाई जो हैं दिल में,
याद से उसके दिन बने, रात गुजरे संग जीने की चाहत में,
ना कोई समझ सकता मुझे, ना समझना कुछ हैं मुझे.
के.के.