रिश्ते होते काँच समान, दरार जो परे ना जुड़ सके,
इसकी अहमियत समझो दोस्त, बचा लो इसे टूटने से,
अगर चाहत हो रिश्ते में, ना टूटने दो तुम उसे कभी,
थोड़ा तुम जो सुन लो, थोड़ा हम भी समझ ले इसे,
अगर चाहत हो दिल में, समझौता से ना करो परहेज़,
समझौता ही जीने का मंत्र, रिश्ते को वो ज़ोर कर रखे,
माफ़ी माँगने से देखो छोटा, ना होता हैं कोई कभी,
रिश्ते अगर माफ़ी से, बच सकता है तो बचा लो सभी,
अंतिम की दो महत्वपूर्ण पंक्तियाँ सिर्फ़ मेरे लिए,,,,,
अगर रिश्ता टूट गया कभी, जोरने की कोशिश तुम ना कर,
क्योंकि रिश्ते होते काँच समान, जुरने पर भी इसमें रहे दरार.
कुणाल कुमार
रिश्तों और काच का मिश्रण बहुत अच्छे तरीके से किया है आपने देखिए में आपके जितना तो अच्छा नहीं लिखती पर कोसिस करती हूं कुछ अच्छा लिखने की तो आप अगर हो सके तो हमे प्रोत्साहन जरूर दीजियेगा।
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