लोग क्या कहेंगे, क्यों खींची मैंने अपनी तस्वीर,
क्यों ना छोड़ दी मैंने, लोगों के हाथों अपनी तक़दीर,
मेरी जीवन की उलझन, नहीं सुलझा सकता खुद कभी,
लोग क्या कहेंगे, अगर कोशिश मैंने सुलझाने की कभी,
किससे बातें करूँ, किसको समझाऊँ अपनी सच्चाई,
लोगों के कहने पे देखो, अपनों ने मुझसे ये दूरी बनाई,
क्या लोग बनाएँगे मेरा भविष्य, समझ नहीं आता मुझे,
मैंने तो बचपन से सीखा, तक़दीर बनाना अपना कर्तव्य,
पर देखो मेरा ये नसीब, दे दी तक़दीर लोगों के हाथ,
लोगों के कहने से, देखो छूटा नसीब अब मेरे हाथ.
कुणाल कुमार
आपकी रचना पढ़कर, यह वाक्य याद आ गया।
“सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग।”
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वाह क्या पते की बात बोला आपने
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Can i use as quote at my insta story @ kunalkumar_sinha
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Yes sure..you can share this sentence on insta☺️👍
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धन्यवाद
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सरलता, और बढिया
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धन्यवाद
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