उदास मन क्यों दूर हैं अपने दिल से,
क्या सम्बंध हैं तेरा दिल की खुशी से,
दिल का दर्द अब क्यों गहराई तेरे मन पे,
मन ने ही की थी दिल से दूर उसकी खुशी,
क्या थी ये मन की अहम् जो रुलाई दिल को,
दूर उसे अपनो से छोड़ चला दिल सिसकने को,
दिल की खोमोशी क्यों ना समझ में आइ मन को,
दर्द लेकर जी तो सकता पर खुशी म मिले मन को,
छोड़ सारे बंधन तोड़, अपने दिल को लगा गले रे मन,
अपने अहम् को त्याग सकने की हिम्मत दिखा रे मन.
कुणाल कुमार