डर लगता हैं मुझे तुमसे, तेरे इस बदलते हुए रूप से,
क्या यहीं तेरा सत्य हैं, क्या यहीं चाहती तुम दिल से,
या इस रूप के पीछे कोई और छुपा हैं, हो तुम मात्र एक पात्र,
निर्देशन हैं उसका अच्छा, क्या खूब अभिनय करवा रहा तुझसे
पर इक बात सच कहूँ तुझसे, अब डर बहौत लगता हैं मुझे,
पर दूर भी नहि रह सकता तुझसे, प्यार जो मैंने की दिल से,
कुणाल कुमार