मैं थोड़ा अजीब सा हूँ, खुद के लिए फ़क़ीर सा हूँ,
मेरा दिल थोड़ा पागल हैं, विचर रहा अपने ख़्वाब में,
जिसे अपनाया दिल से, उसे भूल क्यों मैं जी रहा जीवन,
मजबूर हूँ तक़दीर से मैं, उसकी तस्वीर को भूल ना सका,
मन विचलित पागल इक पंक्षि, उड़ने की चाहत दिल में लिए,
पर मेरी पर बंधी हुई हैं, उसकी यादों की डोर से कसी हुई हैं,
अजनवियो से खुशी बंटना, ख़ुदगर्ज़ हूँ अपने लिए,
अंजाने में कुछ भूल हुईं, पछता रहा मैं उसके लिए.
कुणाल कुमार