मेरा उदास मन पुछ रहा, मेरी तनहाई का ये आलम,
किसकी याद में जी रहा तनहा, जिसे तेरी कोई फ़िक्र नहीं,
रास्ते की कठनाइयो से तुम, ना घबराते थे कभी,
फिर क्यों दिल तेरा रो रहा, तेरे प्यार के चले जने से,
सोच उसकी अदा होगी जुदा, पर जुदा कर चली तुझे तुझसे,
अब यादों के मंदिर में बसा, कबतक पूजा करता रहेगा उसे,
शायद तेरी जान थी वो, ईश्वर समान मान दी तुम उसको,
अब बैठा उसे अपने मन मंदिर में, पुजारी बन पूजा कर बस तू,
तेरा नसीब हैं जो खोटा, करना तुझे अभी और परिश्रम,
बना हैं तू सिर्फ़ खुशी देने के लिए, लेना तेरा काम नहीं.
कुणाल कुमार