क्या खोया क्या पाया, कभी समझ ना पाया,
क्यों सच बोलना मुझे, इतना दिल से रुलाया,
मैंने बस इतना चाहा, सुनो तुम मेरे दिल की आवाज़,
समझ मुझे संग बैठ, खोजे इक प्यार से भरी संसार,
ख़ुदगर्ज़ मैं नहीं कभी, दिल से अपना बनाया तुझे,
तेरे जाने का ये ग़म, पर कभी मैं छुपा नहीं पाया,
दिल से आज चाहा मैंने, भूल मुझे जी अपनी ख़ुशी,
तेरी यादें ही काफ़ी है, बन अब मेरे जीवन की खुशी,
जीने की कोई लालसा नहीं, मरने का अब कोई ग़म नहीं,
बस रब से यही माँग रहा, मरते वख्त बस तेरी ही याद रहे.
कुणाल कुमार