मेरे जनमदिन के इस अवसर पर,
ख़ुस रहो तुम मुझे भूल,
यही दुआ है मेरी,
हो मेरी सारी ख़ुशियाँ रहे बनकर तुम्हारी,
कौन सच्चा और कौन झूठा,
ये सोचने का अब वख्त नहीं,
जनमदिन के अवसर पर मुझे मिली,
तुम्हारे झूठ का तोहफ़ा,
ये अच्छा है जो मुझे भूल गयी,
कोई यादें ना कभी तुझे सताई,
मेरा तोहफ़ा तुम्हारे लिए,
जा तुझे मैं कभी याद भी ना आऊँ,
कुणाल कुमार