अपनी अहसास तुझे बताना, है क्या कोई गुनाह,
क्यों मैं क्षमा मांगु, जब किया नहीं है कोई गुनाह,
तुमने कभी क्यों ना सोचा, मेरे दिल का हाल,
बेचैन सा जी रहा, दिल में बसा है सिर्फ़ तेरा ख़्याल,
क्षमा माँगता हूँ मैं, अगर दर्द दिया तुझे कभी,
खुद को भूल, अब जी रहा सिर्फ़ होने को क़रीब,
पर समझ मेरी भी व्यथा, नहीं है ये कोई कथा,
मेरी हर ख़ुशी हो या ग़म, सिर्फ़ तेरे से हुई जुड़ी.
कुणाल कुमार