क्या सुंदर मैं हूँ, या सोच है मेरी सुंदर,
सह लू हर दर्द, उफ़्फ़ ना आए लब पर,
क्या बोलना मर्ज़ है, या सहना मेरा दर्द है,
या दर्द का अहसास, है मेरे जीने की दवा,
हर दर्द सह, रहु अपने पथ पे मैं सदा अग्रसर,
बाँटते रहु ख़ुशियाँ, रख ग़म सारे अपना बना,
मेरे दर्द की परछाई, ना आने दूँ कभी तुझपे,
रखूँ तुम्हें सदा अपने प्यार की शीतलता तले,
याद में ही सही, तुझे अपना बना लिया,
तुझे अपने अश्रु से नहा, दिल में बसा लिया,
ख़ुशियों को समेटे, अपने यादों के झरोखे से,
देखूँ सपना, तेरा साथ इक सुंदर सा अहसास,
अब जमाने को मैं देखूँ, तेरे सोच के रंगीन चश्मे से,
अब नज़दीक होकर, सीखी दिल तोड़ने की हर कला,
तेरी सुंदर सोच अपना, सिर्फ़ सोचूँ मैं अपनी ही ख़ुशी,
ख़ुदगर्ज़ सा बन गया, दिखूँ ऊपर से सुंदर अंदर मैं मर गया.
कुणाल कुमार