मेरी मुलाक़ात मेरे जीवन से, इक एहसास लिए,
कली खिल फूल बन, मुरझा रही मेरी हर चाहत,
शीश नमा कर ज़ोर, करूँ प्राथना तुझसे,
धन्य रहु तेरा सदा, जो ये दर्द दिया मुझमें,
क्या ख़ूब हो, क्या बढ़िया है तेरा तरीक़ा,
अब याद करूँ सदा, जब दर्द हो मेरा गहरा,
तेरे दर पर भगवान, सब खोजे अपनी ख़ुशी,
मैं खोजूँ अपना ग़म, ताकि मेरे याद में रहो तुम,
ये है मेरी खुद से मुलाक़ात, जीवन से ये है मेरी प्यार,
अब मेरी बस इक ही चाह, मेरा ग़म बने अब मेरी राह.
कुणाल कुमार