कितने दूर कितने पास, अजीब थी वो हमारी मुलाक़ात,
चुरा कर चली गयी, वो प्यार भरी लम्हे जो बीते थे साथ,
बची सिर्फ़ यादें, उन लम्हों में की गयी प्यार भरी बातें,
वो तेरा मुस्कुराना, जो सीधा दिल में यूँ उतर आना,
क्या झूठा था तेरा अफ़साना, तेरी वो आलिंगन प्यार भरी,
तेरे होंठों की वो शरारत, था महज़ इक लम्हा झूठ भरी,
तेरा रूठना मेरा मनाना, तेरे कदमों तले खुद बिछ जाना,
तेरे हर रास्ते के काँटे को, हंस कर दिल से लगा लेना,
क्या बता सकती हो तुम, थी क्या कोई भूल मेरी,
यूँ रूठ कर चल परी, जैसे इक परी लगे रूठी सी,
सुन लो तुम ये मेरी कही, रहो ख़ुश तुम हर घड़ी,
ज़रूरत हो कभी मेरी, मैं मिलूँगा जहां छोड़ गयी,
हर लम्हा संजो कर रखा मैंने, जी रहा हूँ उन लम्हों में,
ख़ुशी की सतरंगी यादें, बने मेरे जीवन की इंद्रधनुष.
कुणाल कुमार