वक़्त की ये मार, सागर के थपेड़ों समान,
कभी ख़ुशी दे, जैसे सागर छू रही किनारा,
कभी ग़म की साया, जैसे सागर से छूटा किनारा,
समझ ना पाया मैं, ज़िंदगी की ये अजब है माया,
समझ नहीं आता, क्यों खोजूँ मैं अपनी ख़ुशी,
साथ जो मिला तुम्हारा, हर ख़ुशी अब हुई अपनी,
समझ नहीं आता, क्यों दुखी है मेरा मन,
दूर कही तुमसे, दिल रोए होने को संग,
समझ नहीं आता, तेरे प्यार में पागल क्यों,
मिलन की बेक़रारी देख, अब समय भी सरमा जाए,
समझ नहीं आता, क्यों क्षितिज पे बादल है गहराई,
मेरी रुसवाई देख, नयन से बादल अश्रु बन बरस जाए,
समझ नहीं आता, इतनी कठोर क्यों हो तुम,
क्या मेरी प्यार का, एहसास नहीं तेरे दिल में,
मेरे अश्रुओं से सिंच, तेरे दिल के बगीचे को,
कठोरता पिघला, प्यार भरे छोटे फूल खिलेंगे.
कुणाल कुमार