कवि का भूला मन, बस तनहा जी रहा,
यू अकेला जीवन में बैठ, कविता सी रहा,
दिल में चाह अनेक, लेकिन राह बस एक,
अपने मन की राह कवि, कविता सी रहा,
याद बसी मीठी घड़ियाँ, यादों मैं जी रहा,
इन यादों में कवि अकेला, कविता सी रहा,
तेरे संग बीती यादें, जीने की है सार,
इस सार को अमृत समझ, कविता सी रहा,
तेरी हँसी दिल सँजोए , जैसे मधुर जीवन है अमी,
तेरी स्पर्श के स्मृति संग बैठ, कविता सी रहा,
तेरी आलिंगन की ख़ुशी, तेरे पास की एहसास,
तेरी ख़ुशी में अपनी पहचान ढूँढे, कविता सी रहा,
तेरी साँसों की सुगंध, तेरे झील से गहरे नयन,
डूबे हुए इन पलो में कवि, कविता सी रहा,
तेरे संग बीते वो पल, एक होंने की एहसास,
इन एहसासों में ख़ुशी ढूँढे, कवि जीवन जी रहा,
कुणाल कुमार