ज़िंदगी का हर पल जैसे हो कोई बुलबुला,
ख़ुशी मानो हो बुलबुला, दिए क्षणिक सुख,
पानी का ये बुलबुला, उड़ने की चाह लिए,
उड़े ख़ुशी भी समान, दुःख के काँटे दे फोड़ इसे,
छोटी से ये बुलबुले, सुंदर दिखे जब हो सभी संग,
जीवन की पाठ पढ़ाए, सुंदर तभी जब सभी हो संग,
रिश्ते भी है सुंदर, बंधी हुई कमजोर धागे के संग,
एक झोका दर्द भरी, तोड़ रिश्ते जैसे फूटे बुलबुले,
कुणाल कुमार