खंडर की हर ईंट बोले, इस क़िले की कहानी,
अपनी ही पहचान लिए, बोले अपनी ज़ुबानी,
कितने ही वीर देखे इसने, कितनी ही लड़ाई,
मातृभूमि के सपूतों को, ये ईंट करे अभिनंदन,
इसने देखे राजा अनेक, कुछ नेक थे कुछ प्रचंड,
सारी यादें संजोए दिल, करे इतिहास का वर्णन,
इसने देखे प्यार भरे रंग,देखे छल करे अपने अपनों के संग,
कभी सुनी बच्चों की किलकारी, कभी युद्ध की बिगुल भारी,
इसपे बैठ प्रेमी जोड़े, इसपे लिखे अपनी प्यार भरी बोल,
क़ैद किए अपनी पहचान, लिखे दो बोल अपने जान के नाम.
कुणाल कुमार
Great reading your blogg post
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Thanks
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