जिनकी उँगली पकड़ जो चलना शिखा मैं,
जिनसे थी मेरे बचपन की हँशी ख़ुशी की वेला,
जिनकी स्नेह के सहारे, कटी बचपन की घड़ी,
छोड़ चली मुझे अकेले, जीवन के इस पथ पे.
तनहा चुप चाप बैठा मैं, जो तेरी याद के सहारे,
अकेला इस दुःख के पल, जिए नम आँखे लिए.
अब दिल में कोई आश नहीं, आऊँगा जल्द मैं,
तुमसे मिलने ये जीवन छोड़, स्वर्ग में अकेले.
कुणाल कुमार